रक्षाबंधन, जिसे आमतौर पर राखी के नाम से जाना जाता है, भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। लेकिन क्या हमने सोचा के Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai / रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? यह पारंपरिक त्योहार अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यह भाइयों और बहनों के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।
पौराणिक कथाओं और इतिहास में निहित, रक्षाबंधन भाई-बहनों के बीच प्यार, सुरक्षा और आपसी सम्मान व्यक्त करने के लिए समर्पित दिन है। त्योहार का नाम ही, जिसका अनुवाद “सुरक्षा का बंधन” है, इस बात का सार बताता है कि Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai / रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच अद्वितीय और अपूरणीय रिश्ते का सम्मान करने का समय है, एक ऐसा रिश्ता जो समय और दूरी से परे है।
Rakshabandhan मनाना: प्यार और भाईचारे का बंधन
इस शुभ अवसर पर बहन अपने भाई की कलाई पर पवित्र धागा, राखी बांधती है, जो प्यार, सुरक्षा और आपसी सम्मान का प्रतीक है। यह त्यौहार भारत में अत्यधिक सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व रखता है, परिवारों को करीब लाता है और भाई-बहनों के बीच के खूबसूरत रिश्ते की पुष्टि करता है।
Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? वैसे तो रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं, परंतु आज हम आपको इसके पीछे जुड़ी कुछ पौराणिक कथा के बारे में बताएंगे Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai।
सबसे पहले कथा आती है द्वापर युग की के Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai
जब श्री कृष्ण अपनी बुआ के पुत्र शिशुपाल को उनके बुरे कर्मों का फल देने के लिए और उनका वध करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाते हैं उस समय उनके सुदर्शन चक्र से उनकी कनिष्ठा (छोटी) उंगली कट जाती है और रक्त बहने लगता है, तब द्रोपदी बिना कुछ सोचे अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर श्री कृष्ण की उंगली पर लपेट कर बांध देती है ।
द्रोपदी के इस प्रेम भाव को देखकर भगवान श्री कृष्ण उन्हें वचन देते हैं की समय आने पर वह उसके इस ऋण को अवश्य चुकाएंगे और सदैव उनकी रक्षा करेंगे। फिर हस्तिनापुर के राज्यसभा में द्रोपदी के चीरहरण के समय श्री कृष्ण ने किस प्रकार द्रोपदी की रक्षा की यह हम सब जानते हैं श्री कृष्ण ने द्रोपदी को एक बहन की भांति स्नेह किया और यह घटना रक्षाबंधन के रूप में प्रसिद्ध हो गई।
दूसरी कथा है राजा बलि और माता लक्ष्मी की के Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai
स्वर्ग पर आधिपत्य के उद्देश्य से राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया, राजा बलि बहुत ही दानवीर थे भगवान विष्णु ने राजा बलि के दानवीरता का परीक्षण करना चाहा और वे अश्वमेध यज्ञ के समय वामन अवतार लेकर राजा बलि के सामने भीक्षा की याचना लेकर पहुंच गए राजा बलि भगवान विष्णु को पहचान ना सके और वामन भगवान को मनचाहा दान देने का वचन दे दिया तब भगवान विष्णु (वामन देव) न उनसे तीन पग भूमि का दान मांगा।
राजा बलि ने खुशी खुशी यह कहा की वह जहां चाहे वहां की तीन पग भूमि नाप सकते हैं। चुंकि राजा बलि वचन दे चुके थे फिर भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में अपना आकार बढ़ाया और एक पग में सारी पृथ्वीऔरदूसरे पग में पूरा आकाश नाप लिया जब तीसरा पग रखने की कोई जगह नहीं बची तब भगवान वामन ने राजा बलि से पूछा की वह तीसरा पैर कहां रखें तक राजा बलि ने अपना शीश आगे झुका दिया और भगवान से कहा कि आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रखें।
जैसे ही भगवान ने अपना पैर राजा बलि के सिर पर रखा राजा बलि पाताल में चले गए। राजा बलि के इस त्याग से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वरदान मांगने को कहा तब राजा बलि ने कहा की उसकी इच्छा है कि वह जब भी भगवान को देखें उसे वामन भगवान ही दिखाई दे, सोते जागते हर समय उसे भगवान के दर्शन हो, भगवान विष्णु ने उसकी प्रार्थना स्वीकार करी और राजा बलि के साथ पाताल में ही रहने लगे ।
बहुत समय बीतने पर जब भगवान विष्णु वैकुंठ में नहीं पहुंचे तब माता लक्ष्मी चिंतित हो गई उन्होंने अपनी चिंता देव ऋषि नारद को बताई , तब देव ऋषि नारद जी ने उन्हें भगवान को वापस लाने का उपाय सुझाया उन्होंने कहा की आप स्वयं राजा बलि के पास जाकर एक बहन की भांति उनसे प्रार्थना करें कि वे श्री विष्णु को मुक्त कर दे।
नारद जी की बात मानकर माता लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची उन्होंने राजा बलि की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधी और उससे वचन लिया कि वह उनके पति श्री विष्णु को मुक्त कर दे। राजा बलि अपनी बहन माता लक्ष्मी की प्रार्थना अस्वीकार नहीं कर पाए और उन्होंने श्री विष्णु को मुक्त कर दिया उस दिन सावन माह की पूर्णिमा भी थी तभी से यह रक्षाबंधन के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
Rakshabandhan ka shubh muhurt kab hai 2023
Rakshabandhan Mantra in Hindi
इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और भगवान से अपने भाई के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती है साथ ही भाई भी अपनी बहन को सदैव रक्षा करने का वचन देते हैं। रक्षा सूत्र बांधते समय निम्न Rakshabandhan Mantra का उच्चारण करना चाहिए –
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः
येन त्वआम् प्रतिबद्धता रक्षा माचल माचलः ।।
- येन=जिसके द्वारा
- बद्धो= प्रतिबद्ध हुए,
- बली राजा= राजा बलि,
- दानवेन्द्रो=दानवों के राजा,
- महाबल: = महाबलशाली,
- तेन= उसी प्रतिबद्धता के सूत्र द्वारा
- त्वाम=तुम्हे
- अनुबध्नामि= मैं भी उसी रक्षा सूत्र मे बनाता हूँ,
- रक्षे=हे रक्षा सूत्र,
- मा चल=स्थिर रहो
- मा चल=स्थिर रहो, चलायमान मत रहो।
Rakshabandhan Mantra Meaning / अर्थात –
जिस रक्षा सूत्र से दानवीर महाबली राजा बलि बांधे गए थे उसी से मैं तुम्हें बांधती हूं, है रक्षे! रक्षा सुत्र तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो (स्थिर रहो)
धर्मशास्त्र के विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।
शास्त्रों में कहा गया है – इस दिन अपरान्ह में रक्षासूत्र का पूजन करे और उसके उपरांत रक्षाबंधन का विधान है। यह रक्षाबंधन राजा को पुरोहित द्वारा यजमान के ब्राह्मण द्वारा, भाई के बहिन द्वारा और पति के पत्नी द्वारा दाहिनी कलाई पर किया जाता है। संस्कृत की उक्ति के अनुसार
तैयारी और अनुष्ठान सामग्री
Rakshabandhan बेहद उत्साह और सावधानीपूर्वक तैयारियों के साथ मनाया जाता है। बहनें समारोह के लिए आवश्यक सामान इकट्ठा करती हैं, जिसमें राखी, रोली (सिंदूर), चावल (चावल), और मिठाइयाँ शामिल हैं। राखी, जिसे अक्सर जटिल रूप से डिज़ाइन किया जाता है, भाई-बहनों के बीच मजबूत बंधन का प्रतीक है और इसे बहुत सावधानी से चुना जाता है।
औपचारिक अनुष्ठान
Rakshabandhan के दिन भाई-बहन एक साथ इकट्ठा होते हैं। बहन अपने भाई के लिए आरती (दीपक से जुड़ा एक औपचारिक अनुष्ठान) करती है, उसके माथे पर तिलक लगाती है और उसकी कलाई पर राखी बांधती है। बदले में भाई अपनी बहन को आशीर्वाद और उपहार देता है और जीवन भर उसकी रक्षा करने का वादा करता है।
परंपरा में आधुनिक मोड़
रक्षाबंधन ने अपनी पारंपरिक सीमाओं को पार कर लिया है और अब यह न केवल भाई-बहनों के बीच बल्कि दोस्तों, चचेरे भाइयों और यहां तक कि समुदायों के बीच भी मनाया जाता है। यह विस्तार त्योहार से जुड़ी समावेशिता और गर्मजोशी को दर्शाता है।
लंबी दूरी की राखी
आज के डिजिटल युग में, जब भौगोलिक दूरियां अक्सर भाई-बहनों को अलग कर देती हैं, “वर्चुअल राखी” भेजने की अवधारणा ने लोकप्रियता हासिल कर ली है। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बहनों को अपने भाइयों को राखी और उपहार भेजने की अनुमति देते हैं, भले ही वे मीलों दूर हों।
रिश्तों को मजबूत बनाना
रक्षाबंधन सिर्फ एक अनुष्ठान से कहीं अधिक है; यह प्यार, सुरक्षा और देखभाल का उत्सव है। यह भाई-बहनों के बीच के बंधन को मजबूत करता है और उन्हें अपनी भावनाओं और भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
सहोदर गतिशील
यह त्यौहार भाइयों और बहनों के बीच की गतिशीलता को रेखांकित करता है – चिढ़ाना, साझा करना, देखभाल करना और समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला अटूट बंधन। यह बचपन की यादें ताज़ा करने और नई यादें बनाने का दिन है।
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निष्कर्ष
तो आज अपने जाना के Rakshabandhan Kyon Manaya Jata Hai कैसे मनाया जाता है और इसका क्या महत्त्व है। Rakshabandhan भाइयों और बहनों के बीच मधुर रिश्ते की एक खूबसूरत याद के रूप में खड़ा है। यह एक ऐसा त्योहार है जो सांस्कृतिक प्रथाओं की अनुकूलन क्षमता को प्रदर्शित करते हुए परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ता है। चूँकि राखी बाँधी जाती है और आशीर्वाद का आदान-प्रदान किया जाता है, त्योहार का सार सुरक्षा, प्रेम और चिरस्थायी भाईचारे के वादे में निहित है।
साथ ही इस बात का ही हमे ध्यान होना चाहिए के रक्षाबंधन में सिर्फ हम अपनी बहनो का ही आदर सम्मना करे। बल्कि हमे नारी के हर रूप का उसी तरह सम्मान और रक्क्षा करे जैसे के हम हम अपनी बहनो का करते है। तो आइये हम इस बात का प्राण ले के हम हर बहनो को आदर और सम्मान दे और हमारी सनातन संस्कृति को बचाये।
रक्षा बंधन कब मनाया जाता है?
रक्षा बंधन आमतौर पर हिंदू महीने श्रावण की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ता है।
रक्षा बंधन कैसे मनाया जाता है?
रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, आरती करती हैं और तिलक लगाती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार या पैसे देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। त्योहार को अक्सर पारिवारिक समारोहों, दावतों और भाई-बहन के बंधन के उत्सव के रूप में चिह्नित किया जाता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
एक लोकप्रिय कहानी भगवान कृष्ण और द्रौपदी की है। जब कृष्ण ने उनकी उंगली काट दी, तो द्रौपदी ने उस पर पट्टी बांधने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ दिया। बदले में, कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वादा किया। एक अन्य कहानी में राक्षस राजा बाली और देवी लक्ष्मी शामिल हैं, जो एक भाई और बहन के बीच के बंधन को दर्शाती है।
रक्षाबंधन का क्या महत्व है?
रक्षाबंधन भाई-बहनों के बीच प्यार, विश्वास और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करने का महत्व रखता है।
रक्षाबंधन पर राखी बांधने की परंपरा की उत्पत्ति क्या है?
रक्षाबंधन पर राखी बांधने की परंपरा की उत्पत्ति पौराणिक कहानियों में हुई है जो प्रियजनों की सुरक्षा की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
रक्षाबंधन भावनात्मक संबंधों को कैसे बढ़ावा देता है?
रक्षाबंधन भाई-बहनों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और प्यार और सुरक्षा के बंधन की पुष्टि करने के लिए एक समर्पित दिन प्रदान करके भावनात्मक संबंधों को बढ़ावा देता है।