Hartalika Teej Vrat Katha

वैसे तो हमारे भारत देश में हर सुहागन महिला अनेको व्रत करती है अपने सौभाग्य और संतान की रक्षा के लिए और हर व्रत के पीछे कोई ना कोई विशेष उद्देश्य होता है। उन्हीं व्रतों में से एक है Hartalika Teej का व्रत। पति पत्नी के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है यह पर्व।

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हरतालिका तीज एक प्रतिष्ठित त्योहार है जो पूरे भारत में हिंदुओं, विशेषकर महिलाओं के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। यह शुभ अवसर उपवास, पूजा और उत्सव द्वारा चिह्नित है, जो परिवार, दोस्तों और समुदायों को प्रेम और भक्ति के बंधन में एक साथ लाता है।

भारत के बहुत से क्षेत्र में Hartalika Teej मनाया जाता है यह पर्व, इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती है, भगवान शिव और माता पार्वती के युगल प्रतिमा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया था। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत कर सकती है।

Hartalika Teej Vrat Katha

आइए Hartalika Teej से जुड़ी कथा के बारे में जानते हैं

माता सती के रूप में देह त्याग करने के पश्चात माता पार्वती ने पर्वत राज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया, बचपन से ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए आराधना प्रारंभ कर दिया। वे तपस्या करने लगी माता पार्वती कई वर्षों तक निराहार, धूप, वर्षा और सर्दी में तप करती रही। माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता पर्वत राज हिमालय बहुत दुखी हुए।

Hartalika Teej Vrat Katha
Hartalika Teej Vrat Katha

 

एक दिन देव ऋषि नारद ने माता के भगवान शिव के प्रति एकनिष्ठ भाव का परीक्षण करने के लिए उनके पिता के पास माता पार्वती और भगवान विष्णु के विवाह का प्रस्ताव रखा। यह सुनकर माता पार्वती बहुत दुखी हुई । माता की एक सखी ने उन्हें वन में जाकर तप करने की सलाह दी और चुपके से माता को महल से निकलकर वन में ले गई। इसलिए इस व्रत को हरितालिका व्रत भी कहा जाता है। “हरित” का अर्थ है हरण (अपहरण) करना और “आलिका” का अर्थ है सखी

माता पार्वती अपनी सखी का सुझाव मान कर वन में गई और तपस्या में लीन हो गई। इस दौरान भाद्रपद (भादो) माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने नदी के बालू (रेत) से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया और निर्जला व्रत करके पूजन कर उनकी आराधना में रात्रि जागरण किया।

उनके इस कठिन व्रत अनुष्ठान से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वचन दिया। तभी से यह व्रत Hartalika Teej व्रत के नाम से प्रसिद्ध हो गया। अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं और अविवाहित लड़कियां Hartalika Teej व्रत करती है।

व्रत की विधि Hartalika Teej Puja Vidhi 

Hartalika Teej के दिन व्रत करने वाली स्त्री सुबह उठकर स्नान आदि करें।

नए व साफ वस्त्र पहनकर दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प ले।

पूरा दिन निर्जला उपवास करें काली मिट्टी या रेत से भगवान शिव और माता पार्वती और श्री गणेश की प्रतिमा बनाएं।

शाम के समय जिस स्थान पर आपको पूजा विधि करनी है उस स्थान को साफ कर रंगोली या चौक डालें इसके ऊपर लकड़ी की चौकी रखकर उसे फूलों से सजा ले।

इसके ऊपर एक बड़ा थाल रखकर उसमें केले का पत्ता रखें।

केले के पत्ते के ऊपर सभी प्रतिमाओं को रखा जाता है।

पीतल या कांसे के लोटे में जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखकर लाल के अलावा बांधकर कलश का विधिवत पूजन करें।

(कुमकुम, हल्दी,चावल, पुष्प चढ़ाकर कलश का पूजन करें) कलश पूजन के पश्चात श्री गणेश की पूजा करें ।

उसके पश्चात भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।

माता पार्वती को संपूर्ण श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।

फल, मिठाई, हलवा, खीरा आदि का भोग भगवान को समर्पित करें।

उसके पश्चात समस्त देवी देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें।

रात्रि जागरण करें एवं प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में अंतिम पूजा कर आरती करें व माता पार्वती को अर्पित सिंदूर सभी सुहागन प्रसाद के रूप में बांट ले। यह अमर सौभाग्य के लिए माता का आशीर्वाद होता है।

मीठा या फल खाकर अपना उपवास खोलें और भगवान से पूजा में हुई कोई भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें।

सुबह होने के पश्चात सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर नदी, तालाब या कुंड में विसर्जित कर अपना Hartalika Teej व्रत संपन्न करें।

Hartalika Teej Phulera

विभिन्न जगहों पर फूलों का फुलेरा बनाने का प्रावधान है। (फुलेरा एक प्रकार का फूलों से सजा झूला होता है जिसमें माता पार्वती और भगवान शिव को बिठाकर झूला झुलाया जाता है।)

हरतालिका तीज के पूजन में भगवान शंकर के ऊपर फुलेरा बांधा जाता है। हरतालिका तीज के पूजन में फुलेरा का विशेष महत्व है। फुलेरा जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है फूलों से बनाया जाता है। इसमें 5 ताजे फूलों की माला का होना जरूरी माना जाता है। मान्यता है कि फुलेरे में बांधी जाने वाली 5 फूलों की मालाएं भगवान भोलेनाथ की पांच पुत्रियों (जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली) का प्रतीक है।

पूजन सामग्री Hartalika Teej Puja Samagri List

  • प्रतिमा के लिए गली काली मिट्टी या बालू
  • केले का पत्ता
  • फूलों से सजा फुलेरा
  • विविध प्रकार के फूल एवं फल (बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल एवं फुल, आक का फूल भगवान शिव के लिए) (मंदार का फूल माता पार्वती के लिए) (
  • दूब एवं अन्य फुल भगवान गणेश के लिए)
  • जनेऊ, मौली धागा
  • सुहाग की सामग्री (सिंदूर,चूड़ी, बिंदी, काजल, मेहंदी, महावर आदि )
  • दीपक, तेल, कपूर, अगरबत्ती, धूप, कुमकुम, अबीर, चंदन, नारियल।
  • पंचामृत (घी दूध दही शहर मिश्री)

Hartalika Teej Aarti

आरती के बाद पढ़ें कर्पूरगौरं मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्.
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि..

व्रत के महत्वपूर्ण नियम Hartalika Teej Vrat Vidhi

तीज का व्रत कठिन व्रतों में से एक है, यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता है अर्थात पूरा दिन और पूरी रात अगले सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता।
रात्रि जागरण किया जाता है

हरतालिका तीज का नियम है इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जाता, इसे प्रतिवर्ष पूरे विधि विधान से किया जाता है।

हरितालिका व्रत का अनुष्ठान जिस घर में हो जाता है उसे खंडित नहीं किया जा सकता अर्थात इसे एक परंपरा के रूप में प्रतिवर्ष उस घर में किया जाना है ।

इस व्रत से जुड़ी कई मान्यताएं हैं जैसे जो स्त्री व्रत के दिन सोती है वह अगले जन्म में अजगर बनती है, जो दूध पीती है वह सर्पिनी बनती है, जो शक्कर या मीठा खाती है वह मक्खी बनती है, जो मांस खाती है वह शेरनी बनती है, जो जल पीती है वह मछली, जो अन्न खाती है वह सुअरी और जो फल खाती है वह बकरी बनती है ।

गर्भवती महिला के लिए व्रत के नियम

अगर आप गर्भवती है तो आपको यह व्रत निर्जला और निराहार करने की आवश्यकता नहीं है ।

गर्भावस्था में स्त्री सुबह ‌पूजन करके जल ग्रहण कर सकती है क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पानी और भोजन बहुत आवश्यक है। समय-समय पर गर्भवती को फल और व्रत के आहार ले लेने चाहिए ।

रात्रि जागरण भी गर्भवती के लिए बाध्य नहीं है।

बहुत देर तक एक ही अवस्था में बैठकर पूजन भी ना करें ।

इस प्रकार हर स्त्री अपने सौभाग्य की कुशलता और दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत संपन्न कर भगवान से अपने परिवार की सुख समृद्धि की प्रार्थना करें।।

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Hartalika Teej Phulera कैसे और क्यों बनाए

हरितालिका तीज व्रत निष्कर्ष

Hartalika Teej एक त्यौहार से कहीं अधिक है; यह परंपरा की स्थायी शक्ति और उत्सव की विकसित होती भावना का प्रतिबिंब है। हरतालिका तीज की कहानी प्रेम, मित्रता और भक्ति की गहन भावनाओं से गूंजती है। यह एक महिला के दृढ़ संकल्प की ताकत और अटूट विश्वास की शक्ति को दर्शाता है।

महिलाएं इस त्योहार को मनाने के लिए एक साथ आती हैं, भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का सम्मान करती हैं। जैसे-जैसे महिलाएँ उपवास करने, प्रार्थना करने और एक-दूसरे की संगति में आनंद लेने के लिए एक साथ आती हैं, वे परिवार, समुदाय और संस्कृति के बंधन को मजबूत करती हैं।

पूछे जाने वाले प्रश्न

हरतालिका तीज व्रत का क्या महत्व है?

ऐसा माना जाता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

क्या अविवाहित महिलाएं हरतालिका तीज समारोह में भाग ले सकती हैं?

हां, विवाहित और अविवाहित दोनों महिलाएं उत्सव में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं।

हरतालिका तीज से क्यों जुड़ा है हरा रंग?

हरा रंग उर्वरता, विकास और सद्भाव का प्रतीक है, जो इसे त्योहार के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाता है।

हरतालिका तीज आधुनिक समय के अनुरूप कैसे ढल गई है?

अपने मूल अनुष्ठानों को बरकरार रखते हुए, हरतालिका तीज में समकालीन जीवनशैली के अनुरूप आधुनिक तत्वों को शामिल किया गया है।

हरतालिका तीज समाज को क्या संदेश देती है?

हरतालिका तीज परंपरा की ताकत और लैंगिक समानता की आवश्यकता को प्रदर्शित करता है, महिला सशक्तिकरण के बारे में प्रेरक बातचीत करता है।

भारत में हरतालिका तीज फुलेरा उत्सव का क्या महत्व है?

हरतालिका तीज फुलेरा भारत के फुलेरा में मनाए जाने वाले हरतालिका तीज त्योहार का एक क्षेत्रीय रूप है। यह स्थानीय समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। जानिए इस त्योहार के दौरान मनाए जाने वाले अनोखे रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के बारे में।

भारतीय कैलेंडर में हरतालिका तीज फुलेरा कब आती है?

हरतालिका तीज फुलेरा आमतौर पर हिंदू महीने भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) में आती है। उस विशिष्ट तिथि और चंद्र चरण की खोज करें जब यह जीवंत उत्सव राजस्थान के फुलेरा में होता है।

हरतालिका तीज फुलेरा की परंपराएं और अनुष्ठान क्या हैं?

हरतालिका तीज फुलेरा से जुड़े रीति-रिवाजों का पता लगाएं, जिसमें देवी पार्वती की पूजा, उपवास प्रथाएं, पारंपरिक पोशाक पहनना और उत्सव में रंग भरने वाला भव्य जुलूस शामिल है।

राजस्थान के फुलेरा में हरतालिका तीज फुलेरा कैसे मनाया जाता है?

इस क्षेत्र में हरतालिका तीज फुलेरा मनाने के अनूठे तरीकों के बारे में जानें, जिसमें सुंदर रूप से सजी हुई मूर्तियों का भव्य जुलूस, सांस्कृतिक प्रदर्शन और शहर को घेरने वाला जीवंत वातावरण शामिल है।

हरतालिका तीज अनुष्ठान के लिए शुभ समय क्या हैं?

उपवास और प्रार्थना सहित हरतालिका तीज अनुष्ठानों का शुभ समय चंद्र कैलेंडर के आधार पर हर साल भिन्न हो सकता है। सटीक समय निर्धारित करने के लिए, पंचांग (हिंदू कैलेंडर) से परामर्श लेने या किसी ज्योतिषी से मार्गदर्शन लेने की सलाह दी जाती है जो इस पवित्र दिन पर अनुष्ठान करने के लिए विशिष्ट घंटे प्रदान कर सकता है।

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