Karwa Chauth Vrat Katha 2024

हिंदू कैलेंडर के अनुसार Karwa Chauth का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। यह व्रत सुहागन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करती है सोलह श्रृंगार कर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती है तथा शाम को चंद्रमा के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती है। इस लेख में, हम Karwa Chauth Vrat Katha, करवा चौथ के इतिहास, महत्व, अनुष्ठानों और समकालीन पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।

Karwa Chauth एक महत्वपूर्ण और पवित्र हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह महिलाओं के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह उनके पतियों के प्रति उनके प्यार और समर्पण का प्रतीक है। शब्द “करवा चौथ” को दो शब्दों में विभाजित किया जा सकता है: “करवा,” जिसका अर्थ है मिट्टी का बर्तन, और “चौथ”, जो चौथे दिन का प्रतीक है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने के चौथे दिन पड़ता है, आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में। महिलाएं अपने पतियों की सलामती और लंबी उम्र के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक दिन भर का उपवास रखती हैं।

Karwa Chauth Vrat Katha
Karwa Chauth Vrat Katha

Karwa Chauth Muhurat 2023

इस साल चतुर्थी तिथि 31 अक्तूबर की रात 10 बजकर 42 मिनट से शुरू हो रही है। जिसका समापन अगले दिन यानी 1 नवंबर की रात 09 बजकर 19 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 1 नवंबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।

1 नवंबर 2023 यानी करवा चौथ की रात्रि 08:15 बजे चंद्रोदय होगा। करवा चौथ पूजा मुहूर्त सायं 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा और अमृत काल सायं 07 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस समय आप चंद्रमा को देखकर व्रत का पारण सकते हैं। यह समय काफी शुभ रहने वाला है।

Karwa Chauth Muhurat 2024

पंचांग के अनुसार इस साल करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 (रविवार) को मनाया जाएगा.

करवा चौथ पूजा शुभ समय

  • करवा चौथ तिथि: रविवार, 20 नवंबर 2024
  • करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 05:46 बजे से शाम 07:57 बजे तक

करवा चौथ का महत्व / Importance of Karwa Chauth

करवा चौथ बेहद उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने और इससे जुड़े अनुष्ठान करने से पति-पत्नी के बीच वैवाहिक बंधन मजबूत होता है। विवाहित महिलाएं इसे अपने जीवनसाथी के लंबे और समृद्ध जीवन के लिए प्रार्थना करने के दिन के रूप में देखती हैं। करवा शब्द महिलाओं के अपने पति के प्रति गहरे प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

Karwa Chauth Vrat Katha

करवा चौथ की सबसे प्रचलित कथा के बारे में आज हम आपको बताते हैं-

महाभारत काल में एक बार अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तप करने गए परंतु काफी समय तक नहीं लौटे तो उनकी पत्नी द्रौपदी को चिंता होने लगी तब उसने भगवान श्री कृष्ण को याद किया और उनसे अपना दुख बांटा और कहा कि उसकी यह चिंता कैसे दूर होगी उसका निवारण बताएं और कहा कि मेरे पति अर्जुन को दीर्घायु प्राप्त हो इसके लिए उत्तम मार्ग बताएं।

तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि एक बार माता पार्वती ने भी यही प्रश्न भगवान शंकर से पूछा था तब भगवान शंकर ने उनको एक कथा सुनाई थी वह कथा मैं तुम्हें सुनाता हूं।

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि कारका चतुर्थी (करवा चौथ) को निर्जल व्रत करके यह कथा सुनी जाती है।
किसी समय में एक नगर में एक साहूकार रहता था। उस साहूकार के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी। उसकी पुत्री बहुत ही सुंदर थी उसका विवाह हो चुका था तथा वह अपने पति के साथ पास के ही दूसरे नगर में रहती थी। साहूकार के सभी पुत्र भी विवाहित थे।

एक बार वह कन्या अपने मायके आई हुई थी। उस दिन कारका चतुर्थी का दिन था उसने भी अपने भाभियों के साथ व्रत किया और शाम को अर्ध्य देने के लिए चंद्रमा की प्रतीक्षा करने लगी। परंतु पूरा दिन भूखे प्यासे रहने के कारण वह व्याकुल हो रही थी।

उसकी भाभियों ने यह बात अपने पतियों से कही, उसके भाई अपनी इकलौती बहन से बहुत प्रेम करते थे, इसीलिए उनसे अपनी बहन की व्याकुलता सहन नहीं हो रही थी। तब उन्होंने अपनी बहन की पीड़ा दूर करने के लिए एक उपाय सोचा।

घर के बाहर कुछ दूर पर एक पीपल का वृक्ष था, भाइयों ने उस पीपल के वृक्ष के नीचे एक दिया जलाया और उस पर चुनरी का ओट कर उसे नकली चंद्रमा सा दृश्य बनाया और घर आकर अपनी बहन से कहा की चांद निकल आया है वह अर्घ्य  देकर अपना व्रत खोल ले।

उस कन्या ने अपनी भाभियों से कहा कि चांद निकल आया है आप सब भी अपना व्रत खोल ले। उसकी भाभियों ने उसे समझाया कि अभी चांद नहीं निकला है उसके भाइयों ने उससे झूठ कहा है, नकली चांद दिखाई है पर उस कन्या ने अपनी भाभियों की बात नहीं मानी और नकली चंद्रमा को अर्घ्य  देकर अपना व्रत खोल लिया।

व्रत संपन्न कर जब वह अपने घर गई तो देखा कि उसका पति बीमार और बेहोश पड़ा है, वह बहुत दुखी हुई। उसकी भाभियों ने बताया कि उसने नकली चांद को अर्घ्य  देकर अपना व्रत खोला है, जिससे उसका व्रत खंडित हो गया उसी के कारण उसके पति की यह दशा हुई है।

वह कन्या अपने पति को इस अवस्था में लेकर बैठी रही। एक वर्ष पश्चात फिर से कारका चतुर्थी के दिन उसने विधि विधान से निर्जल व्रत किया और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य  देकर अपना व्रत संपन्न किया।

व्रत संपन्न होते ही उसके पति का स्वास्थ्य सुधारने लगा और कुछ ही समय में वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया। इस व्रत के प्रभाव से उस दंपति को सुख, समृद्धि, वैभव तथा संतान सुख प्राप्त हुआ। उस स्त्री का नाम करवा था इसीलिए इस व्रत को Karwa Chauth Vrat के नाम से जानते है।

Karwa Chauth Puja Vidhi

यह व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 को रखा जाएगा। करवा चौथ की पूजा शाम को चंद्रोदय के बाद की जाती है। व्रत करने वाली महिलाएं सबसे पहले सुबह उठकर नहा धोकर नए स्वच्छ वस्त्र धारण करें और ईश्वर के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प ले।

Karwa Chauth की तैयारी

Karwa Chauth Vrat की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। महिलाएं नए कपड़े, आभूषण और अन्य जरूरी सामान की खरीदारी करती हैं। हवा में उत्साह स्पष्ट है क्योंकि वे व्रत रखने और इस शुभ दिन को मनाने के लिए तैयार हो रहे हैं।

सरगी की रस्म

सरगी Karwa Chauth Vrat का अहम हिस्सा है। यह भोजन सुबह होने से पहले सास अपनी बहू के लिए बनाती है। इसमें स्वादिष्ट और पौष्टिक चीजें शामिल होती हैं जिनका सेवन व्रत करने वाली महिलाएं पूरे दिन अपना पेट बनाए रखने के लिए करती हैं।

रस्में

दिन की शुरुआत सुबह स्नान और प्रार्थना से होती है। महिलाएं अपनी बेहतरीन पोशाक पहनती हैं और पारंपरिक आभूषणों से खुद को सजाती हैं। उन्हें इस व्रत को मनाने के लिए एक साथ आते देखना एक सुंदर दृश्य है।

स्त्रियां सोलह श्रृंगार करें और पूरा दिन निर्जल व्रत करें। दोपहर के बाद पूजा की तैयारी प्रारंभ करें, वैसे तो बाजार में प्रिंटेड चित्र मिलते हैं।

अगर आपके पास उपलब्ध नहीं है तो आप अपने घर के मंदिर की दीवार पर गाय के गोबर से फलक बनाएं और फिर चावल को पीसकर इस फलक के ऊपर करवा का चित्र बनाएं इस विधि को करवा धरना कहा जाता है।

शाम को इसी फलक के नीचे जमीन पर चौक डालें और उस पर लकड़ी का पाट रखकर आसान बिछाकर माता पार्वती शिवजी और गणेश जी की एक साथ वाली एक फोटो रखें। पूजा की थाली तैयार करें थाली में दीपक, पुष्प, अक्षत, रोली, कुमकुम, मिठाई श्रृंगार सामग्री आदि रखें।

करवे में जल भर कर रखें। मां पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती, भगवान शिव तथा भगवान गणेश के साथ चंद्र देव की आराधना करें और अपने सुख सौभाग्य की कामना करें।

Karwa Chauth Vrat Katha पढ़े या सुने। तत्पश्चात् चांद निकलने पर छलनी से या जल में चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्ध्य दे और पूजा करें। तथा अपने पति की दीर्घायु की कामना करें। इसके बाद अपने पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोल ले और अपने बड़ों का आशीर्वाद ले।

Karwa Chauth Mantra

निम्न मंत्र का उच्चारण करें –

“मम सुखसौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।”

पूरे दिन व्रत रखना

Karwa Chauth का व्रत कठोर होता है और महिलाएं पूरे दिन भोजन और पानी से परहेज करती हैं। यह दृढ़ संकल्प अपने पतियों के प्रति उनके प्रेम और समर्पण का प्रमाण है।

शाम के लिए तैयार होना

जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, महिलाएं शाम के लिए तैयार होने लगती हैं। वे अपने हाथों पर जटिल मेहंदी डिज़ाइन लगाते हैं, जीवंत रंगों के कपड़े पहनते हैं और शाम के उत्सव के लिए खुद को शानदार बनाते हैं।

चंद्रोदय और व्रत तोड़ना

दिन का सबसे प्रतीक्षित क्षण चंद्रोदय है। महिलाएं चांद देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं और अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। यह अनुष्ठान प्रेम और भक्ति के हार्दिक आदान-प्रदान द्वारा चिह्नित है।

पूरे भारत में Karwa Chauth उत्सव

जबकि करवा चौथ पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है, यह अलग-अलग क्षेत्रीय स्वाद लेता है। प्रत्येक राज्य और समुदाय इस त्योहार में अपनी अनूठी परंपराएं और रीति-रिवाज लाते हैं, जिससे यह एक विविध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध उत्सव बन जाता है।

आधुनिक काल का Karwa Chauth

समकालीन समय में, करवा चौथ विकसित हुआ है। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि प्रेम का उत्सव भी है। महिलाएं इस दिन को तैयार होने और खुद को लाड़-प्यार करने के अवसर के रूप में देखती हैं, जिससे यह सशक्तिकरण और आत्म-प्रेम का दिन बन जाता है।

Karwa Chauth के सशक्त पहलू

Karwa Chauth महिलाओं की ताकत और अपने प्रियजनों की भलाई के लिए कठिनाइयों को सहने की उनकी क्षमता का प्रतीक बन गया है। यह प्रेम और भक्ति की शक्ति को प्रदर्शित करता है जो समय और परंपरा से परे है।

लोकप्रिय संस्कृति में Karwa Chauth

इस त्योहार ने बॉलीवुड फिल्मों, टेलीविजन शो और किताबों में भी लोकप्रिय संस्कृति में अपनी जगह बना ली है। यह प्रेम और प्रतिबद्धता की सुंदरता को प्रदर्शित करते हुए भारतीय कहानी कहने का एक अभिन्न अंग बन गया है।

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निष्कर्ष

अंत में, Karwa Chauth प्रेम, भक्ति और प्रतिबद्धता का एक सुंदर उत्सव है। यह महिलाओं की ताकत और लचीलेपन का एक प्रमाण है, जो अपने प्रियजनों की भलाई के लिए कठिनाइयों को सहने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित करता है। इस त्यौहार का एक समृद्ध इतिहास, महत्वपूर्ण अनुष्ठान और गहरा सांस्कृतिक प्रभाव है। जैसे-जैसे इसका विकास जारी है, यह समय और परंपरा से परे प्रेम का प्रतीक बना हुआ है।

FAQ’s

करवा चौथ का क्या महत्व है?
करवा चौथ महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विवाहित महिलाओं के अपने पतियों के प्रति प्रेम और समर्पण और उनकी भलाई के लिए प्रार्थना का प्रतीक है।

क्या करवा चौथ पूरे भारत में मनाया जाता है?
हां, करवा चौथ पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है, रीति-रिवाजों और परंपराओं में क्षेत्रीय विविधता के साथ।

क्या अविवाहित महिलाएं करवा चौथ मना सकती हैं?
जबकि यह मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, कुछ अविवाहित महिलाएं भी मुख्य रूप से अपने भावी जीवनसाथी की भलाई के लिए इसमें भाग लेती हैं।

सरगी भोजन में आवश्यक चीजें क्या हैं?
सरगी भोजन में आमतौर पर फेनिया, मिठाई, फल और सूखे मेवे जैसी चीजें शामिल होती हैं।

आधुनिक समय में करवा चौथ कैसे विकसित हुआ है?
आधुनिक समय में, करवा चौथ प्यार और सशक्तिकरण के उत्सव में बदल गया है, जहां महिलाएं न केवल उपवास करती हैं बल्कि विभिन्न तरीकों से इस दिन का आनंद भी लेती हैं।

डिसक्लेमर: ‘इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।’

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