करवा चौथ व्रत कथा: प्रेम और आस्था की कहानीकरवा चौथ पूजा शुभ समय 2024
करवा चौथ का शुभ पर्वकरवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए विशेष पर्व है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के लिए व्रत रखती हैं।
व्रत की शुरुआत: सरगी का महत्व
सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन सुबह किया जाता है। यह व्रत की शुरुआत का संकेत है और पूरे दिन ऊर्जा बनाए रखती है।
निर्जला व्रत की परंपरा
महिलाएं दिनभर बिना अन्न और जल के रहती हैं। यह संयम और समर्पण का प्रतीक है।
शाम को करवा माता की पूजा
करवा चौथ की शाम को मिट्टी के करवा और दीपक के साथ माता पार्वती और शिवजी की पूजा की जाती है।
करवा चौथ व्रत कथा का श्रवण
पूजन के बाद व्रत कथा सुनी जाती है। वीरवती और करवा जैसी पतिव्रता स्त्रियों की कथाएं आस्था को और बढ़ाती हैं।
चंद्रमा के दर्शन का इंतजार
पूजा के बाद महिलाएं चांद के उगने का इंतजार करती हैं, ताकि अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जा सके।
चांद को अर्घ्य और व्रत का समापन
चंद्रमा को अर्घ्य देकर महिलाएं पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं, जो प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
करवा चौथ पूजा शुभ समयकरवा चौथ तिथि: रविवार, 20 नवंबर 2024करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 05:46 बजे से शाम 07:57 बजे तक
पौराणिक कथा: वीरवती की कहानी
वीरवती ने भूख से बेहोश होकर चांद के भ्रम में व्रत तोड़ा था, जिससे उसके पति की मृत्यु हुई। लेकिन अगले वर्ष के व्रत से उसने अपने पति को जीवनदान दिलवाया।
आस्था की दूसरी कथा: करवा और यमराज
करवा की भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने उसके पति के प्राण लौटाए, जिससे यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक बना।
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